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आपराधिक अवचार वाक्य

उच्चारण: [ aaperaadhik avechaar ]
"आपराधिक अवचार" अंग्रेज़ी में
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • एक लोक सेवक द्वारा राजकीय कार्य के लिये रिश्वत राशि की मांग एवं प्राप्ति अपने आप में आपराधिक अवचार की तारीफ में आता है।
  • आपराधिक प्र्रकरण सं0 53 / 2005 राज्य विरूद्ध डॉ0अरविन्दकुमार एक लोक सेवक द्वारा राजकीय कार्य के लिये रिश्वत राशि की मांग एवं प्राप्ति अपने आप में आपराधिक अवचार की तारीफ में आता है।
  • " आया अभियुक्त शिवनारायण ने भू-अभिलेख निरीक्षक, सिवाना के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्य करते हुये परिवादी माधाराम से उसका निजी कुआ खसरा संख्या 198/4 में सरकारी जमीन नदी में खुदवाने के लिये पांच विस्वा भूमि लीज पर लेने के लिये आवेदन करने पर 1500/-रूपये रिश्वत राशि की मांग कर समदड़ी में हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अपराध का प्रश्न है, यह निर्विवाद है कि अभियुक्त ने उपर्युक्त राशि पटवार हलका, दूदाबेरी (जिला बाड़मेर) के पटवारी के पद पर रहते हुये एक लोक सेवक के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध साधन से प्राप्त की है, इस कारण इसका यह कृत्य अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन भी आपराधिक अवचार (दुराचरण) की परिधि में आता है।
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अपराध का प्रश्न है, यह निर्विवाद है कि अभियुक्त चौथाराम ने उपर्युक्त राशि तहसील शिव, जिला बाड़मेर में हलका पटवारी चेतरोड़ी के पद पर रहते हुये एक लोक सेवक के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध साधन से प्राप्त की, इस कारण इसका यह कृत्य भी अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन आपराधिक अवचार (दुराचरण) की परिधि में आता है।
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन अपराध का प्रश्न है, अभियुक्त बाबूसिंह ने उपर्युक्त रिश्वत राशि एक लोक सेवक के रूप में शासकीय कार्य करने के लिये भ्रष्ट या अवैध साधन से प्राप्त की है, इस कारण उसका यह कृत्य धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन आपराधिक अवचार की परिधि में भी आता है, इस कारण इसे इस अपराध में भी दोषसिद्ध करार दिया जाना उचित है।
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अपराध का प्रश्न है, यह निर्विवाद है कि अभियुक्त चन्दाराम ने उपर्युक्त राशि सहायक खनि अभियन्ता, बाड़मेर के कार्यालय में नाकेदार के पद पर रहते हुये एक लोक सेवक के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त की है, इस कारण इसका यह कृत्य अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन भी आपराधिक अवचार (दुराचरण) की परिधि में आता है।
  • इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त हुकमसिंह ने हल्का पटवारी पावली एवं अतिरिक्त प्रभार हलका पटवारी दोरड़ा (तहसील भीनमाल) के लोक सेवक के पद पर रहते हुये अभियोगी छैलसिंह से उसके भाई देवीसिंह के खेत का म्यूटशन भरवाने के एवज में हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न 2000/-रूपये रिश्वत की मांग कर दिनांक 11-10-2002 को यह राशि प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) का प्रश्न है, यह निर्विवाद है कि अभियुक्त हुकमसिंह ने उपर्युक्त रिश्वत राशि एक लोक सेवक के रूप में शासकीय कार्य करने के लिये भ्रष्ट या अवैध साधन से प्राप्त की है, इस कारण उसका यह कृत्य धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन आपराधिक अवचार की परिधि में भी आता है व इस प्रकार से इसे इस अपराध में भी दोषसिद्ध करार दिया जाना उचित है।
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अपराध का प्रश्न है, यह निर्विवाद है कि अभियुक्त डॉक्टर दुर्गाशंकर ने उपर्युक्त रिश्वत राशि एक लोक सेवक के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध साधन से प्राप्त की है, इस कारण इसका यह कृत्य भी अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन आपराधिक अवचार (दुराचरण) की परिधि में आता है और इस आधार पर इसे इस अपराध के आरोप में भी दोषसिद्ध किया जाना उचित है।
  • न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त चौथाराम ने दिनांक 1. 10.2002 को राजस्व पटवारी, चेतरोड़ी (तहसील शिव, जिला बाड़मर) के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्यरत रहते हुये परिवादी रूपाराम सुथार से उसके खेत का म्यूटेशन भरने व पासबुक देने की एवज में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से हेतु या इनाम के रूप में चार सौ रूपये की मांग कर राशि प्राप्त कर अपने पद का दुरूपयोग करते हुये आपराधिक अवचार किया?
  • आपराधिक प्र्रकरण सं0 53 / 2005 राज्य विरूद्ध डॉ0अरविन्दकुमार 37. जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन अपराध का प्रश्न है, अभियुक्त बाबूसिंह ने उपर्युक्त रिश्वत राशि एक लोक सेवक के रूप में शासकीय कार्य करने के लिये भ्रष्ट या अवैध साधन से प्राप्त की है, इस कारण उसका यह कृत्य धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन आपराधिक अवचार की परिधि में भी आता है, इस कारण इसे इस अपराध में भी दोषसिद्ध करार दिया जाना उचित है।
  • इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह हैं कि क्या प्रकरण के अभियुक्त बाबूसिंह ने हलका पटवारी कालेरी के लोक सेवक के पद पर रहते हुये अभियोगी जवानाराम एवं मोहबताराम से उनके खेत का म्यूटेशन भरने एवं खसरा संख्या 465 एवं 468 की जमाबन्दी की नकले देने की एवज में हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न 1500 /-रूपये परितोषण की मांग कर दिनांक 21.4.2002 को उनसे यह राशि भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
  • जहां तक अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अपराध का प्रश्न है, यह निर्विवाद है कि अभियुक्त पदमसिंह ने उपर्युक्त राशि ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी, बाली के कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक के पद पर रहते हुये एक लोक सेवक के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध साधन से प्राप्त की, इस कारण इसका यह कृत्य भी अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (2) के अधीन आपराधिक अवचार (दुराचरण) की परिधि में आने से इसे इस अपराध के आरोप में भी दोषसिद्ध किया जाना उचित है।
  • इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि " क्या प्रकरण के अभियुक्त रामचन्द्र ने वर्ष 1996 में ग्राम पंचायत, बिसलपुर के सरपंच के पद पर लोक-सेवक के रूप में कार्यरत रहते हुये राजकीय प्राथमिक विद्यालय, भाटों की ढ़ाणी की चारदीवारी हेतु न्यस्त राशि 20,000/-रू0, गिरदावर भवन के निर्माण हेतु न्यस्त राशि में से 44240/-रू0 और तलपट्टी नाडी की खुदाई एवं घाटबन्धाई हेतु न्यस्त राशि में से 65,365/-रु0 यानि कुल 1,29,605/-रू0 को अपने काम में लेकर आपराधिक न्यासभंग (गबन) और आपराधिक अवचार कारित किया।
  • ऐसे में उपर्युक्त आशय की आधी-अधूरी मूल्यांकन रिपोर्ट्स पर सुरक्षित रूप से भरोसा नहीं किया जा सकता और इनके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी रामचन्द्र ने गिरदावर भवन के निर्माण हेतु न्यस्त राशि 1, 13,566/-में से 44240/-रू. और तलपट्टी नाडी की खुदाई व घाटबन्धाई के लिये न्यस्त राशि 1.80लाख रू0 में से 65365/-रू. को कपटपूर्वक अपने उपयोग में लेकर इसका दुर्विनियोग करते हुये आपराधिक न्यायभंग व आपराधिक अवचार किया हो तथा इसी आधार पर यह आरोपित अपराधों से दोषमुक्त किये जाने योग्य है।
  • " आया अभियुक्त मोहनलाल ग्रामसेवक, ग्राम पंचायत, केशरपुरा ने व सहअभियक्त सीतादेवी सरपंच ग्राम पंचायत, केशरपुरा ने आपराधिक षडयन्त्र रचकर दिनांक 9-11-2000 को लोकसेवक के पद पर रहते हुये परिवादी ओमप्रकाश मेवाड़ा के व्यवसायिक भूखण्ड की एन ओ सी देने की एवज में दस हजार रूपये रिश्वत राशि अभियुक्ता सीतादेवी सरपंच, केशरपुरा के लिये एवं अभियुक्ता सीतादेवी ने भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से वैध पारिश्रमिक से भिन्न हेतु या इनाम के रूप में उत्कोचस्वरूप अभियुक्त मोहनलाल, ग्रामसेवक एवं पदेन सचिव, ग्राम पंचायत, केशरपुरा के मारफत प्राप्त कर दोनों अभियुक्तगण ने आपराधिक अवचार किया।
  • " आया अभियुक्त चिरंजीलाल ने कनिष्ठ अभियन्ता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. जायल के पद पर लोकसेवक की हैसियत से कार्य करते हुये परिवादी भगवतीप्रसाद से उसके ग्राम डेह स्थित आईस फेक्टरी के बिजली के बिल के ऐस्टीमेट की राशि लेप्स करवाने व बन्द फेक्टरी के बिजली बिल की राशि कम करवाने की एवज में हेतु या इनाम के रूप में रिश्वत की राशि की मांग कर दिनांक 29.32003 को 1300/-रूपये एवं दिनांक 21.4.2003 को सह अभियुक्त रतनसिंह के मारफत भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से 1700/-रूपये आपराधिक षडयन्त्र रचकर प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया।
  • इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि " क्या प्रकरण के अभियुक्त पदमसिंह ने एक लोक सेवक के रूप में ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी, बाली के कार्यालय में संस्थापन शाखा प्रभारी (व0लि0) के पद पर रहते हुये दिनांक 2.9.2004 को परिवादी शैलेन्द्र सोलंकी से जिला शिक्षा अधिकारी (पाली) द्वारा अगस्त, 2004 में जारी स्थानान्तरण आदेश को रद्द करवाने की एवज में तीन हजार रूपये की मांग कर उस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से दिनांक 3.9.2004 को दो हजार रूपये रिश्वत राशि प्राप्त कर आपराधिक अवचार कारित किया?

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